22 October 2015

सरकारें बदली, पंचायतें बदली लेकिन कोई नहीं बना पाया लडभड़ोल बाजार में एक शौचालय

लडभड़ोल : इसे शायद लडभड़ोल का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि आजादी के 71 वर्ष बाद भी यहाँ की जनता अपने हक के लिए संघर्ष कर रही है। वैसे तो लडभड़ोल में भी महिलाओं की सुरक्षा व अस्मिता को लेकर तरह के पाखंड किए जा रहे हैं, लेकिन यहाँ महिलाओं के हकों की आवाज उठाने वाला कोई नहीं है। "यह रोशनी का अंधेरा है, बड़ी दूर सवेरा है".. दूरदर्शन के लोकप्रिय धारावाहिक "हम लोग" की ये कास्टिंग गीत की पंक्तियां लडभड़ोल तहसील पर सटीक बैठती हैं।

18 पंचायतों के सैकड़ों लोगों को परेशानी
जोगिंद्रनगर विधानसभा क्षेत्र के अंतिम छोर पर बसे लडभड़ोल बाजार में आजतक शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा नहीं मिल पायी है। लडभड़ोल बाजार में अभी अब तक शौचालय का निर्माण नहीं हो पाया है । इससे स्थानीय दुकानदारों व बाहर से आने वाले लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। लडभड़ोल तहसील मुख्यालय होने के कारण यहां क्षेत्र की 18 पंचायतों के सैकड़ों लोग अपने रोजमर्रा का कार्य करवाने के लिए आते हैं। लेकिन शौचालय की व्यवस्था न होने से उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई सरकारें आयी व गई , कई पंचायतें बदली लेकिन सभी इस समस्या को सुलझाने में पूरी तरह नाकाम साबित हुए है।

महिलाओं व लड़कियों की प्रतिष्ठा दांव पर
शौचालय न होने के कारण यहाँ आने वाले लोगों खासकर महिलाओं को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पुरुष तो जैसे तैसे काम निपटा लेते है परंतु महिलाएं परेशानी में जल्द से जल्द काम निपटा घर को लौटने को मजबूर हो जाती है। एक तरफ तो राज्य व केंद्र सरकार पुरे जोर शोर से घर-घर शौचालय बनवा रही है, वही दूसरी तरफ लडभड़ोल के प्रमुख बाजार में शौचालय के आभाव में लोगो को शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है। कितनी हैरानी की बात है कि शौचालय की कमी की वजह से महिलाओं व लड़कियों की सुरक्षा, सम्मान और उन का विकास सबकुछ दांव पर लग जाता है।

सार्वजनिक क्षेत्र में शौचालय उपलब्ध करवाना सरकार की जिमेवारी
सार्वजनिक शौचालय महिलाओं की स्वाभाविक व मानवीय जरूरत है। यह बात समझना जरूरी है कि घरों के भीतर शौचालय जहां किसी की व्यक्तिगत जिम्मेदारी है वहीं सार्वजनिक क्षेत्र, चाहे वह बाजार हो या आफिस में इस सुविधा को उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है। अब यह सवाल उठता है कि लडभड़ोल जैसे बाजार पर महिलाओं की इस आधारभूत जरूरत की तरफ सरकार का ध्यान क्यों नहीं जाता..? सरकार आखिर क्यों लडभड़ोल के लोगों की इस मूलभूत समस्या से पूरी अनजान बनी हुई है।

इस बारे में जब लडभड़ोल के तहसीलदार अजय कुमार सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा की "शौचालय निर्माण के संबंध में कई बार कोशिश की गयी है लेकिन सरकारी जगह उपलब्ध नहीं होने के कारण निर्माण नहीं किया जा सका है। अगर कोई इच्छुक व्यक्ति बाजार व नज़दीक जगह दान देता है तो शीघ्र ही शौचालय का निर्माण करवा दिया जायेगा।"

उसके बाद जब ग्राम पंचायत लडभड़ोल की प्रधान अनु देवी से बात की गई तो उन्होंने भी वही बातें दोहराई। उन्होंने कहा की "सार्वजनिक शौचालय के लिए कई बार पंचायत द्वारा प्रस्ताव डाला गया, पैसे भी स्वीकृत हुए थे लेकिन जगह न होने के कारण निर्माण नहीं हो पाया है। जगह के लिए पंचायत प्रयासरत है।"

सरकार कब तक मुर्ख बनाएगी जनता को
हमारा सरकार से आग्रह है कि जनता से किये गये वादों को अब पूरा करने का कष्ट करें। आपके लिये जनता से किये गए वादों को पूरा करने का सुनहरा अवसर है। यदि अब सरकार लडभड़ोल की जनता को यह मूलभूत सुविधा भी उपलब्ध नहीं करवा पाई तो यह लडभड़ोल वासियों के लिये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात होगी। सरकार फिर अपनी नाकामियों के लिये किसे दोष देगी या क्या नया बहाना बनाकर जनता को मूर्ख बनाएगी..? लोगों ने जल्द से जल्द यहाँ सार्वजनिक शौचालय बनाने की मांग की है ताकि लोगों को राहत मिल सके।





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