22 October 2015

लोगों की आस्था और यहां के गौरवशाली इतिहास को समेटे हुए है चुल्ला का टोण भराड़ी मंदिर

लडभड़ोल : अगर आप लडभड़ोल तहसील के किसी गांव के निवासी है और भक्ति के शौक़ीन हैं और पूर्णतया भगवान में विश्वास रखते हैं तो ऐसी कई जगह लडभड़ोल तहसील में हैं, जहाँ आप भगवान के दर्शन कर सकते हो। आप यहाँ अपनी परिवार के साथ जा सकते हो, जहाँ आपको अति प्रसन्नता होगी।

चलिए आज हम आपको लडभड़ोल तहसील में स्थित एक ऐसे मंदिर की सैर पर ले चलते हैं जो लोगों की आस्था का केंद्र तो है ही इसी के साथ-साथ यहां के गौरवशाली इतिहास को भी समेटे हुए है।

लडभड़ोल तहसील की तुलाह पंचायत के चुल्ला गांव में स्थित टोण भराड़ी मंदिर किसी परिचय का मोहताज नहीं है क्योंकि यह लडभड़ोल क्षेत्र के सबसे प्रसिद्ध और पवित्र स्थानों में से एक है। अपनी भव्यता और हिंदू पौराणिक कथाओं के प्रतीक इस मंदिर को देखने दूर-दूर भर से भक्त यहां आते हैं।

चुल्ला गांव में स्थित यह टोण भराड़ी मंदिर ब्यास नदी के किनारे स्थित है और अपनी प्राक्रितिक सुन्दरता के लिए जाना जाता है। इस मंदिर की सबसे महत्वपूर्ण चीज इस आश्रम में भव्य राम, शिव तथा शनि की शानदार प्रतिमाऐं है। मंदिर का अंदर का हिस्सा भी इसके बाहरी हिस्से जितना ही सुंदर है और इसके फर्श पर संगमरमर बिछाया गया हैं। यहां कई देवी देवताओं की मूर्तियां हैं जो इस जगह को एक अलग आकर्षण देते हैं। मंदिर के आसपास हरेभरे खेत हैं जो मंदिर के माहौल में शांति जोड़ते हैं। त्यौहार के मौसम में यहां विशेष रुप से ज्यादा भीड़ रहती है। इस मन्दिर के विकास के लिये तुलाह पंचायत के लोगों और लडभडोल के क्षेत्रवासियों ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

मिथकों के अनुसार टोण भराड़ी मंदिर का इतिहास 420 वर्ष पुराना है। माता टोण भराडी एक कान से टोनी है तभी से नाम टोण भराडी पडा। अठारवी शताब्दी के अंत में स्वामी शंकरानंद जी महाराज चुल्ला में आए थे और वह कई वर्ष पूर्व तक इस मंदिर में संचालक के रूप में रहें। उन्होंने खण्डित पडे माता के मदिर को दुबारा बनवाया था। उसी दौरान शंकरानंद जी महाराज ने शंकर भगवान का के मंदिर का निर्माण करवाया और अपने रहने के लिए एक छोटी सी कुटिया भी बनायी। साल 1962 से 1977 तक इस मंदिर में शंकरानंद संस्कृत महाविद्यालय भी होता था। शंकरानंद जी महाराज जी बहुत तपस्वी थे। साल 1982 में शंकरानंद जी महाराज ब्राम्हलीन हो गए थे। मंदिर में उनकी मूर्ति की स्थापना भी की गयी है।

साल 1984 से श्री श्री1008 स्वामी राम कुमार दास जी महाराज संचालक के रूप में इस आश्रम का काराभार देख रहे हैं। इन्होंने अपने प्रयासों से इस मदिर को एक पर्यटन स्थल के रूप में उभारने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ।इस मदिर में जाने से आध्यात्मिक शान्ति और साधुवाद की प्राप्ति होती है। इस मंदिर में हर वर्ष माहा यज्ञ एवं श्री रामकथा का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी यह आयोजन 29 मार्च 2017 से 6 अप्रैल 2017 तक करवाया जा रहा है| मंदिर के पुजारी पंडित मनोहर लाल शर्मा इस माहायज्ञ में शामिल होंने के लिए लडभड़ोल क्षेत्र के सभी लोगों को सादर आमंत्रित किया है।

कैसे पहुंचें मंदिर
परिवहन के कई साधनों के द्वारा यह मंदिर और दुनिया के बाकी हिस्सों से बहुत अच्छी तरह जुड़ा है। बैजनाथ और जोगिंद्रनगर के बीच कई बस सेवाएं हैं जो हर 1 से 2 घंटे में तुलाह के लिए चलती हैं। आप बैजनाथ या लडभड़ोल से तुलाह के लिए बस ले सकते हैं। यह मंदिर तुलाह बस स्टॉप से लगभग 300 मीटर की दुरी पर स्थित है। इस अदभुत मंदिर की सड़क से यात्रा थोड़ी कठिनाई भरी रहती है क्योंकि चुल्ला गांव में निर्माणधीन विद्युत् प्रोजेक्ट के कारण सड़कों की हालत दयनीय बनी हुई है।

लडभड़ोल तहसील में टोण भराड़ी मंदिर जैसे कई देवी-देवाताओं के मंदिरों हैं, जिनमें इतिहास छुपा हुआ है। इनके बारे में जानकर आप दंग रह जाएंगे। ये अंग्रेजों के समय से लेकर महाभारत का अतीत भी अपने अंदर समाए हुए हैं। हम जल्दी ही आपको ऐसे ही किसी दूसरे मंदिर की सैर पर ले चलेंगे तब तक आप लडभड़ोल.कॉम पर खबरे पढ़ते रहिये।

Exclusive Coverage By the team Ladbharol.com


मंदिर का दृश्य
मंदिर का प्रवेश द्वार
शंकरानंद जी महाराज का स्थापित प्रतिमा
स्वामी राम कुमार




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