22 October 2015

दिव्यांग बच्चों की जिंदगी खुशहाल बनाने के लिए दान कर दिया अपना मानदेय, मिलिए रजनी से

लडभड़ोल : विकलांगों को अब दिव्यांग कहा जाने लगा है। लेकिन इस सम्मानजनक संबोधन से उनकी समस्याओं में कोई कमी नहीं आयी है। अधिकतर सार्वजनिक जगहों पर उनके लिए जरूरी सुविधाओं का अभाव है। विकास के साथ समाज में दिव्यागों को लेकर सोच बदली है। पर अब भी एक बड़ा तबका है ऐसा है जो शारीरिक अक्षमता की वजह से चलने, बैठने, खाने और बात करने में असमर्थ लोगों को अपनाने में हिचक रखता है। इसमें कई बार परिवार की उदासीनता भी शामिल हो जाती है। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो इस सोच को बदलने की कोशिश में जुट जाते हैं। खासकर के दिव्यांग बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने, उन्हें सारी खुशियां देने के लिए अपना सबकुछ न्यौछावर कर देते हैं।

ऐसे ही शारीरिक रूप से कमजोर बच्चों को कुछ सुविधाएं देने की कोशिश कर रही हैं तुलाह, खड़ियार और त्रेम्बली पंचायत की BDC सदस्या रजनी ठाकुर। जिनके लिये ये बच्चे अनमोल हैं। BDC सदस्या रजनी ठाकुर ने इन पंचायतों के दिव्यांग बच्चों की सहायता के लिए सरकार की तरफ से मिलने वाले अपने मानदेय से 11 हजार रुपये दान दिए। उन्होंने विधायक ठाकुर गुलाब सिंह को भी पत्र लिखकर इन दिव्यांग बच्चों की मदद करने की गुहार लगाई थी। विधायक ठाकुर गुलाब सिंह भी इन बच्चों की मदद के लिए आगे आये और उन्होंने भी बच्चों की सहायता के लिए 15 हजार रुपये दिये। बच्चों को समान्नित करने के लिए गुलाब सिंह आज त्रेम्बली पंचायत में थे। वहां उन्होंने स्थानीय लोगों से मुलाकात भी की। रजनी ठाकुर ने विधायक ठाकुर गुलाब सिंह से इन बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए जरुरी कदम उठाने की अपील भी की।

दिव्यांग बच्चों कि सूचि इस प्रकार है:
त्रेम्बली पंचायत से :-
मनीष कुमार /सपुत्र - श्री जोगिन्दर सिंह (दिव्यांग)
शिल्पा देवी /सपुत्री - स्वर्गीय तेजमाल (गरीब)
रिया देबी सपुत्री पकाश चन्द गाव कडकुही
गावं डूघ:-अमन ठाकुर /सपुत्र- श्री पान :-रानी देबी सपुत्री श्रीनाग राम गाव मझेड

लडभड़ोल.कॉम से बात करते हुए रजनी ठाकुर ने बताया :

"BDC चुनाव प्रचार के दौरान में इन दिव्यांग बच्चों से मिली थी। तभी मैंने दिव्यांग बच्चों की हालात देखकर चुनाव जीतने पर इनकी हरसंभव सहायता करने का वादा किया था हालांकि ये वादा चुनाव प्रचार के लिए नही बल्कि मानवता के लिहाज से किया था जो आज पूरा हुआ। भविष्य में जितना मुझसे होगा में इनकी बच्चों की सहायता करती रहूंगी। दिव्यांग बच्चे हमारे समाज का एक हिस्सा हैं, जो अधिकार सामान्य बच्चों को है वही अधिकार इन बच्चों को भी है। दिव्यांगों को समाज की मुख्य धारा में लाने और सम्मानित जीवन जीने में सहयोग करने की आवश्यकता है। में सभी सरकारी व निजी कर्मचारियों, पूर्व सैनिकों, सेनानिवृत्त अध्यापकों व अन्य समाजसेवियों से इन बच्चों की सहायता करने में सहयोग की अपील करती हूं। "


आधुनिक होने का दावा करने वाला समाज अब तक विकलांगों के प्रति अपनी बुनियादी सोच में कोई खास परिवर्तन नहीं ला पाया है। अधिकतर लोगों के मन में विकलांगों के प्रति तिरस्कार या दया भाव ही रहता है, यह दोनों भाव विकलांगों के स्वाभिमान पर चोट करते हैं। दिव्यांग कह भर देने से इनके जीवन में कोई बदलाव नहीं आएगा। यह केवल छलावा है। लडभड़ोल क्षेत्र के सभी लोगों को रजनी ठाकुर की तरह आगे आकर इस तरह की पहल शुरू करनी होगी ताकि दिव्यांग बचे भी समानजनक जीवन व्यतीत कर सके।

दिव्यांगों का कहना है, "हमें इंसान ही समझ लो वही काफी है। असक्षमता के चलते जो असुविधा है, उसके लिए इंतजाम होने चाहिए।"


त्रेम्बली के लोग विधायक के साथ सामूहिक चित्र में
दिव्यांग बच्चों के परिजनों को समान्नित करते हुए विधायक




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