22 October 2015

प्राइवेट सेक्टर में हो रहे शोषण के खिलाफ लडभड़ोल के युवाओं ने दिल्ली में दिया धरना

लडभड़ोल : पढ़-लिख कर भी देश के युवक निराशा भरी जिंदगी जीने को मजबूर है। प्राइवेट सेक्टर में लोगों की जिंदगी गुलामों जैसी होकर रह गई है। प्राइवेट सेक्टर में अन्याय का आलम यह कि वेतन भी नाममात्र तथा काम भी तय समय से ज्यादा लिया जाता है। प्राइवेट कंपनियों में छुट्टी मांगना किसी गुनाह जैसा ही होता है। यहां तो यूं ही चलेगा। अब सवाल यह कि आखिर कब तक देश का युवा दर-दर की ठोकरें खाता रहेगा? प्राइवेट सेक्टर में हो रहे शोषण के कारण ही आजकल बड़े-बड़े पढ़े लिखे युवक भी एक चपरासी की नॉकरी पाने के लिये कोशिश करते है लेकिन सरकारी तन्त्र में फैले भृष्टाचार के कारण सरकारी नोकरी पाना भी इतना आसान नही है|

प्राइवेट सेक्टर में वेतन समेत कई क्षेत्रों में सुधार की मांग को लेकर लडभड़ोल के युवाओं समेत पुरे देश से आये युवको ने ने शुक्रवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया। धरने की अगुवाई कर रहे लडभड़ोल के युवकों ने कहा प्राइवेट कंपनियां युवाओं का शोषण कर रही हैं। 15-15 घंटे काम लेती हैं, लेकिन वेतन सिर्फ आठ घंटे के हिसाब से देती हैं। इससे युवा अपना विकास नहीं कर पा रहे और न ही अपने परिवार का पालन पोषण कर पा रहे हैं।

इस धरने में देशभर से आए युवाओं के साथ लडभड़ोल तहसील के भी बहुत से युवक शामिल रहे| इन युवको ने हाथों में बेनर लेकर प्राइवेट कंपनियों की मनमानी के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने अपनी मागों को लेकर प्रधानमंत्री के नाम प्रधानमंत्री कार्यालय में ज्ञापन भी सौंपा।

लडभड़ोल .कॉम से बात करते हुए लडभड़ोल तहसील के इन युवाओं ने कहा कि प्राइवेट सेक्टर में सरकार ने कर्मचारियों को लेकर कड़े कानून बना रखे हैं, लेकिन कंपनिया कानूनों को ताक पर रखकर काम कर रही हैं। ये युवक प्राइवेट सेक्टर में भी पे-कमीशन लागू करवाना चाहते है|

भारत देश के सिर्फ 5 या 6 प्रतिशत युवा ही सरकारी नोकरी हासिल कर पाते है| बाकि 95 प्रतिशत युवा प्राइवेट सेक्टर में काम करते है| मगर सरकार के सभी क़ानून सिर्फ और इन 5 प्रतिशत लोगों के लिए है| बाकि बचे 95 प्रतिशत युवा उनका क्या| किसी नेता को इस विकराल होती समस्या की फिक्र नहीं है क्योंकि जो नेता होते है उनकी बच्चे और रिश्तेदार सबसे पहले सरकारी नोकरी प्राप्त कर लेते है इसलिए उन्हें नेताओ को इस समस्या से कोई फर्क नही पड़ता। सरकार जानकर भी मूकदर्शक की मुद्रा अख्तियार किए हुए है, जो कि युवा वर्ग के साथ सरासर अन्याय है।

सरकार को प्राइवेट क्षेत्र के लिए भी कुछ नियम बना देने चाहिए, जैसे कि वहां कार्यरत कर्मचारियों को हर दिन कितना वक्त कार्य करना है, कर्मचारियों की योग्यता और फिर इसी के आधार पर इनके वेतन की न्यूनतम सीमा निर्धारित कर देनी चाहिए। कर्मचारियों के लिए न्यूनतम छुट्टियों का भी प्रावधान होना चाहिए, ताकि वहां कार्यरत हर कर्मचारी तनावमुक्त जीवन जी सकें।


धरना देते हुए युवक
बैनर लिए हुए युवक




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