22 October 2015

..और HRTC के चालक ने बीच रास्ते में ही उतार दी सवारियां


लडभड़ोल : हिमाचल पथ परिवहन निगम नई नई बसें खरीदकर सवारियों को रात-दिन ले जाने व लोगों को अच्छी सुविधा देने की बात करता है। वहीं, यात्रियों को दिन-प्रतिदिन निगम के कुछ बस चालकों एवं परिचालकों की मनमर्जी का शिकार होना पड़ता है।

ऐसी ही एक घटना लडभड़ोल से माकन गाँव के लिए HRTC की बस में यात्रा कर रहे यात्रियों के साथ घटी। इस बस का रूट बैजनाथ से माकन तक का है| बस चालक एवं परिचालक ने वीरवार को लडभड़ोल से माकन तक की सवारियां बैठा ली। इसके बाद माकन से चार किलोमीटर पहले सांढा पहुंचने पर बस चालक ने यात्रियों को बस से उतर जाने को कहा| उस बस में ग्राम पंचायत ऊटपुर की प्रधान श्रीमती चन्द्रेश कुमारी भी सफर कर रही थी| चन्द्रेश कुमारी ने बैजनाथ डिपो के क्षेत्रीय प्रबंधक से फ़ोन पर बात भी की लेकिन तब भी चालक बस को सांढा से घुमाकर वापिस लडभड़ोल ले गया|

लोगों का आरोप है की जब बस का रुट माकन तक है तो उन्हें सांढा में क्यों उतार दिया गया । बस गन्तव्य तक न पहुंचने के कारण सवारियों को सामान के साथ पैदल यात्रा करनी पड़ी। वीरवार को सुबह 10.15 बजे और शाम को 3.15 बजे लंघा पहुँचने वाली दोनों बसें सांढा से वापिस हो गयी| हर रविवार को यह बस सांढा से वापिस हो जाती है|

एक यात्री ने लडभड़ोल.कॉम से बात करते हुए कहा
"मुझे माकन जाना था। बस परिचालक ने माकन जाने की बात कही और बैठा लिया। मुझे जरूरी काम था। फिर सांढा में ही उतार दिया| सामान के साथ पैदल कैसे जाऊँगा| अब काफी समय खराब हो गया। विभाग को ऐसे चालकों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। जिनकी वजह से यात्रियों को परेशानी होती है।" : यात्री

वहीं ग्राम पंचायत ऊटपुर की प्रधान चन्द्रेश कुमारी ने बैजनाथ के क्षेत्रीय प्रबन्धक को पत्र लिखकर बस के चालक एवं परिचालक द्वारा सवारियों को बीच रास्ते में उतारने की शिकायत कर दी है| पत्र में बस सुविधा को नियमित करने तथा चालक परिचालक को बस लंघा तक ले जाने की मांग की गयी है| जिससे लोगों को परेशान न होना पड़े|

HRTC विभाग भी समस्या से भली भांति अवगत होता है। इसके बावजूद भी इन चालकों, परिचालकों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। खासकर समस्या उस समय ज्यादा बढ़ जाती है। जब शाम के समय अपने निर्धारित रूटों पर चलने वाली बसें अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच पाती हैं। इसके चलते लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।





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