22 October 2015

उड़ी आतंकी हमले में घायल हुए मतेहड़ पंचायत के बोहल गांव के हवलदार जसवंत सिंह की हालत स्थिर

लडभड़ोल : दिन सोमवार। सुबह के करीब साढ़े दस बजे। लडभड़ोल तहसील की मतेहड़ पंचायत के बोहल गांव के हवलदार जसवंत सिंह के घर सन्नाटा था। घर के आसपास लोग खड़े थे, हर किसी की जुबान पर बात थी तो गांव के बहादुर जवान जसवंत की। सभी गाँव के लोग यही दुआ कर रहे थे कि जसवंत जल्द ठीक हो जाए। अंदर घायल सैनिक जसवंत की पत्नी, बुजुर्ग माता-पिता, भाई, बहन व अन्य रिश्तेदारों की आंखें न्यूज चैनलों पर अटकी थी। पूरा क्षेत्र यही कह रहा है, बस जसवंत ठीक हो जाए।

इसी दौरान घायल सैनिक की पत्नी शावनी देवी के मोबाइल फोन की घंटी बजती है और खामोशी छा जाती है। फोन पर उसे जसवंत की हालत में कुछ सुधार की बात कही गई, जिसे सुनकर परिवार के अन्य सदस्यों को भी राहत मिली।

घायल सैनिक की 70 वर्षीय माता सुती देवी व 80 वर्षीय पिता जय सिंह ने बताया कि उन्हें रविवार देर रात पंचायत प्रधान राजेश कुमार ने बताया कि उनका बेटा उड़ी में हुए आतंकी हमले में घायल हो गया है। जिसका उपचार ऊधमपुर कमान अस्पताल में चल रहा है। परिजनों ने बताया कि उन्हें इस बारे में स्थानीय प्रशासन व भारतीय सेना के उच्चाधिकारियों द्वारा कोई जानकारी नहीं दी गई। बाद में समाचार पत्रों व न्यूज चैनलों के माध्यम से उन्हें बेटे के घायल होने की सूचना मिली।

परिजनों में इस बात का मलाल दिखा कि देश के लिए उनके बेटे ने अपने शरीर पर गहरे जख्म उठाए हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन व भारतीय सेना का कोई भी अधिकारी उनको हौसला देने सोमवार दोपहर तक घर नहीं पहुंचा। जसवंत की बड़ी बेटी अंशिता (12) व छोटी बेटी तनवी (10) परमार्थ इंटरनेशनल स्कूल बैजनाथ में पढ़ती हैं। इन्हें अपने पिता के गंभीर रूप से घायल होने की अधिक जानकारी नहीं दी गई है। रोजाना की तरह सोमवार को भी इन्हें स्कूल भेजा गया।

जसवंत की पत्नी शावनी देवी को हौसला देने के लिए घायल सैनिक की बहन अंजना देवी, बड़े भाई महेंद्र ¨सह, भाभी कुसमा देवी व पड़ोस में रहने वाले संतोष कुमार, रंजीत ¨सह, पंचायत प्रधान राजेश कुमार सहित अन्य लोग पहुंच रहे हैं। घायल सैनिक के घर के बाहर दिन भर लोगों की भीड़ जुटी रही।

भारतीय सेना में वर्ष 1994 में भर्ती होने के बाद 22 साल के कार्यकाल में जसवंत ¨सह कई दुर्गम क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। इनमें नक्सली प्रभावित क्षेत्र मणिपुर व आतंकी प्रभावित क्षेत्र श्रीनगर, अंडेमान निकोबार, अमृतसर व खून जमा देने वाले सियाचिन ग्लेशियर में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। करीब तीन महीने पहले 14 जून को जसवंत अपनी बहन रेखा देवी की मौत पर गांव बोहल आए थे।

मौजूदा समय में वह 10 डोगरा रेजीमेंट में उड़ी (जम्मू-कश्मीर) में मैकेनिकल प्लाटून में बतौर चालक अपनी सेवाएं दे रहे हैं। देश सेवा का जज्बा घायल जसवंत सिंह में इतना भरा हुआ है कि इन्होंने अपनी नौकरी में दो साल की अतिरिक्त बढ़ोतरी करवा ली। करीब दो साल के बाद जसवंत ¨सह भारतीय सेना से सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

पिता जय सिंह ने बताया कि इनकी प्लाटून 12 अक्टूबर को पठानकोट वापस लौटेगी, लेकिन इस दौरान आतंकियों ने सेना के मुख्यालय में बड़ा आतंकी हमला कर देश के कई सैनिकों को लहुलूहान कर दिया है। उन्होंने कहा कि आतंकी हमले के पीछे जिन लोगों का हाथ है उन पर उन्हीं की भाषा में कड़ा जवाब दिया जाए।

घायल सैनिक जसवंत सिंह की हालत स्थिर बताई जा रही है। सेना की विशेष चिकित्सकों की टीम घायल सैनिकों को हरसंभव उपचार देने में जुटी हुई है। सांसद रामस्वरूप शर्मा, स्थानीय विधायक गुलाब ¨सह ठाकुर, पूर्व विधायक ठाकुर सुरेंद्रपाल, जिला भाजपा महामंत्री पंकज जम्वाल ने भी दूरभाष के माध्यम से घायल सैनिक के परिजनों व संबंधियों से कुशलक्षेम पूछा। सभी ने घायल सैनिकों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की है।





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