22 October 2015

आखिर कौन शुरू करवाएगा ऊटपुर पंचायत में डेढ़ करोड़ से बनाई गयी सिंचाई योजना को ?

लडभड़ोल : ऊटपुर पंचायत के तीन गांवों की प्यासी जमीन को हरा-भरा बनाने के लिए सिंचाई परियोजना अभी तक भी सिरे नहीं चढ़ सकी है ।ऊटपुर पंचायत की यह जमीन लडभड़ोल तहसील की सबसे बड़ी खेती करने योग्य जमीनों में से एक है | इस योजना को बनाने में विभाग चौदह साल लगा चुका है। लेकिन डेढ़ करोड़ की उठाऊ सिंचाई योजना का काम अभी तक पूरा नहीं हो सका है। विभाग इसका ठीकरा जहां जनता के सिर फोड़ रही है वहीं जनता विभाग की नाकामी को जिम्मेवार ठहरा रही है।

लोगाें का आरोप है कि सरकार ने यह योजना जनता से कहीं ज्यादा ठेकेदाराें के हित में बनाई थी। पंचायत ऊटपुर के तीन गांवाें सांडा, घटोड़ और ऊटपुर के किसानों की खुशहाली के लिए चौदह वर्ष पूर्व सरकार ने ऊटपुर उठाऊ सिंचाई योजना का कार्य शुरू किया था। योजना के शुरू होते ही विभाग ने शुरुआत में ही खेतों के बीच से पाइपो को दबाने के लिए 5 फुट गहरी नालिया बना दी थी |खेतों के बीचों बीच हुई 5 फुट गहरी नालिया की खुदाई से जमीन दो भागों में बंट गयी थी | इससे कई खेत क्षतिग्रस्त हो चुके थे लेकिन किसानों ने इसकी परवाह नही की क्योंकि वो अपनी ज़मीन के लिए पानी चाहते थे |

कई साल गुज़र जाने के बाद भी जब यह परियोजना नही बन सकी तो लोगों ने धीरे-धीरे इन नालियो को भरना शुरू कर दिया क्योंकि इसे फसल की पैदावार पर फर्क पड़ रहा था | इस खुदाई से योजना के लिए बनने वाला मेेगा सिस्टम अभी तक नहीं बन पाया है। घटोड़ और सांडा गांव में पानी को बांटने के लिए न तो पाइपें बिछाई गई हैं न ही टंकियों का निर्माण हो पाया है।

पंचायत की अस्सी फीसदी आबादी इन गांवों में रहती है। सभी गाँवों के लोगों व ऊटपुर के स्थानीय निवासी आशीष राणा (आसु), आकाश राणा (जितु) , अक्षय(अछरू), विशाल कुमार(अरुण), वरुण राणा(बब्बू), नवीन(चंद्रमणि), वीरभद्दर,वेनिश का कहना है कि विभाग जनता पर सहयोग न करने का बहाना बना रहा है। विभाग ने पहले खुद लोगाें से अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं लिए। कुछ लोगों के मुताबिक मुताबिक विभाग उनके आंगन से पानी की मुख्य पाइप गुजारना चाहता है। मुख्य पाइप को सड़क से भी गुजारा जा सकता है।

लोगों ने आरोप लगाया कि विभाग अपनी मनमानी पर अड़ा हुआ है। विभाग ने शुरुआती दौर में ही खेतों के बीच सीमेंट की कूहलें बना दी हैं। । लोगाें ने कूहलें तोड़ डाली हैं। इसके बाद विभाग ने मोगा सिस्टम की योजना बनाई। लेकिन योजना अभी तक सिरे नहीं चढ़ सकी। योजना के पंप हाउस की मोटरें भी नहीं चल सकी हैं। जैक वैल मिट्टी और रेत से भरे पड़े हैं। विभाग एक ही राग रो रहा की ग्रामीणों की वजह से स्कीम पूरी नहीं हुई है।

ऊटपुर पंचायत में लगभग 250 परिवारों ने बन्दरो व सूअरों के बढ़ते हुए आंतक से अपनी जमीन पर मक्की और धान की खेती करना बन्द कर दिया है | खेती योग्य जमीन पर लोग अब केवल घास की खेती करते है | कई लोगों ने जमीन बंज़र छोड़ दी है क्योंकि सिचाई व्यवस्था न होने से लोगों के पास कोई अन्य विकल्प भी नही है | अगर यह सिंचाई परियोजना शुरू हो जाती है तो लोगों के पास मक्की और धान के आलावा खेती के और भी विकल्प खुल जायेंगे | लोग फिर से खेती की तरफ आकर्षित होंगे | और सबसे महत्वपूर्ण बात ये की इस योजना से हर वर्ग के लोगों को फायदा होगा क्योंकि हर वर्ग खेती से जुड़ा हुआ है |

इस सिंचाई परियोजना के पूरा न होने की चाहे जो भी वजहें रही हो लेकिन अब इसे पूरा करना वर्तमान पंचायत के प्रतिनिधियों की जिम्मेवारी है | उन्हें प्राथमिकता के आधार पर इस सिंचाई परियोजना को शुरू करने के लिए प्रयास करने चाहिए | अगर वह इस परियोजना को शुरू करवाने में सफल होते है तो उनके कार्यकाल को पूर्णयता सफल माना जायेगा व उनका नाम ऊटपुर पंचायत के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो जायेगा |





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