
लडभड़ोल : लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर सरकार सजग है पर जमीनी स्तर पर हालात इसके उलट है। ग्राम पंचायत ऊटपुर के लगभग 9 गांवों के करीब चार हजार लोगों की जिम्मेदारी केवल एक उप स्वास्थ्य केंद्र और एक आयुर्वेदिक अस्पताल पर है। जहाँ सिर्फ नाम की सुविधाएं है | इससे सामान्य सी बीमारी में भी लोगों को परेशानी हो रही है। स्थानीय लोग इन स्वास्थ्य केंद्रों में ज़रा भी भरोसा नही करते और कभी-कभार ही यहाँ बिमारियों का इलाज़ करते है | इसका कारण यहाँ पर सुविधाओ और दवाइयों की कमी है | ग्रामीणों को अस्पताल का कुछ खास लाभ नहीं मिल रहा।
ग्राम पंचायत ऊटपुर में उप स्वास्थ्य केंद्र गाँव ऊटपुर में ही स्थित है और ऊटपुर पंचायत के संबंधित गांवों की औसतन दूरी चार से पांच किमी है।गांव में स्वास्थ्य केन्द्र होते हुए भी शहर जाना पड़ रहा है। हैरत की बात यह है की यह स्वास्थ्य उप केंद्र 38 वर्ष पहले बनाया गया था और तब से लेकर आज तक इसे स्त्रोउन्नत नही किया गया है|
ऊटपुर पंचायत में तेन, भ्रां, घटोड़, कुटला, सांढा,माकन, लंघा, ओच आदि गांव पड़ते है। जिनकी 2011 की जनगणना के अनुसार करीब चार हजार की जनसंख्या है। इसके बावजूद यहां सभी को उचित स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। जिसके चलते ग्रामीणों को सामान्य उपचार के लिए भी लंबी दौड़ लगानी पड़ती है। लोगों की मांग है कि ऊटपुर पंचायत में उप स्वास्थ्य केंद्र के स्थान पर एक आधुनिक सुविधायुक्त पीएचसी की स्थापना हो ताकि इलाज और सुविधाओं का लाभ सभी को मिले। इतने लोगों के लिए मात्र एक स्वास्थ्य उप केंद्र नाकाफी है। पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा सरकार के समक्ष प्रस्ताव लेकर सुविधाएं बढ़ाने का प्रयास किया जा सकता है ।
पंचायत में स्वास्थ्य की सभी सुविधाएं न होने से लोगों को सात किमी दूर लडभड़ोल या तीस किलोमीटर दूर स्थित बैजनाथ अस्पताल में जाना पड़ता है। जिससे मानसिक और आर्थिक नुकसान होता है। गंभीर स्थिति में हालत और खराब होती है।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भले ही लाख दावा कर ले कि प्रदेश तरक्की की राह पर है पर पिछले एक दशक से लडभड़ोल के विकास के जो भी दावे हुए है वह सिर्फ कागजी ही साबित हुए हैं।
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