22 October 2015

हादसों से भी नहीं लिया सबक, गिरने की कगार पर पहुंची सड़क पर जारी है वाहनों की आवाजाही

लडभड़ोल : हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में गुरुवार को हुए बस हादसे में 44 लोगों की मौत दहला देने वाली घटना है। इस हादसे ने एक बार फिर सरकार की लापरवाही को उजागर किया है। इतनी बड़ी संख्या में लोगों का मारा जाना बता रहा है कि राज्य सरकार के लिए लोगों की जान की कोई कीमत नहीं है। सड़क सुरक्षा को लेकर सरकार ने आंखें मूंद रखी हैं।

कई बड़े हादसों की गवाह तैंन
लड़भड़ोल से ऊटपुर सड़क क्षेत्र की सबसे खतरनाक सड़कों में से एक है। इस सड़क पर डिबडियाउ गांव से लेकर भ्रां गांव तक गाड़ी के पहियों को संभालना एक बहुत बड़ी चुनौती माना जाता है। तैंन जगह को कई बार हादसों की रोड कहकर बुलाया जाता है। भूस्खलन तो यहां पर एक आम बात है। तैंन इस सड़क पर जगह-जगह आपको पत्थर गिरे दिख जायेंगे। कच्चे पहाड़ों के बीच से गुजरती यह सड़क ऐसी कई घटनाओं से रूबरू हो चुकी हैं जब एक साथ कई परिवारों में जिंदगी के चिराग बुझ गए हो।

जानलेवा हो सकती है लापरवाही
पिछले साल यहां से गुज़रते समय तैंन के पास एक तस्वीर हमने अपने कैमरे में कैद की थी। तस्वीर में आप देख सकते है की इस रोड से गुजरना कितना जोखिम भरा है। ऐसी ही एक जगह पर एक हादसे में कई लोगों की अपनी जान गवानी पड़ी थी। हादसे के बाद विभाग ने उस जगह पर रेलिंग लगा दी थी। मगर इतने महीने बीत जाने के बाद भी इस जगह पर अभी तक विभाग हादसे के इंतज़ार में है। यहाँ पर सड़क गिरने की कगार पर पहुंच चुकी है बावजूत इसके इस सड़क पर भारी वाहनों तथा बसों की आवाजाही जारी है। इस क्षतिग्रस्त सड़क के पास सैकड़ों मीटर की गहरी खाई है जो जरा से गलती को जानलेवा हादसे में बदल सकती है मगर इस लोक निर्माण विभाग कुम्भकर्णी नींद में सोया है।

बढ़ रहा हादसों का ग्राफ
हकीकत तो यह है कि सरकार ने पिछले हादसों से कोई सबक नहीं सीखा और सड़क यात्रा को सुरक्षित बनाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। इसी का नतीजा है कि आए दिन राज्य में सड़क हादसे हो रहे हैं और लोग मर रहे हैं। जब-जब ऐसे बड़े हादसे होते हैं, मृतकों को मुआवजा देकर मामला खत्म दिया जाता है, लेकिन पिछले हादसों से कोई सबक नहीं लिया जाता। इसलिए सड़क हादसों में हिमाचल प्रदेश का ग्राफ ऊपर जा रहा है।







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