शिशु दात्री शारदा माता सिमसा
विभिन विविधाताओं से भरे हुए भारत में कई चीज़े ऐसी है जो वैज्ञानिक तथ्यों और तर्कों से दूर नज़र आती है। अब इसे भगवान में विश्वास कहें या फिर अंधविश्वास, लेकिन ऐसे ही विज्ञान को हैरान करने वाला मंदिर हिमाचल के जिला मंदिर की लडभड़ोल तहसील के सिमस गांव में स्थित है जो सिमसा माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की पुरानी मान्यता है कि निसंतान महिलायें सिमसा माता मंदिर के फर्श पर सोकर संतान का सुख प्राप्त करती हैं। आइये हम आपको इस मंदिर की पूरी कहानी बताते है।
यह मंदिर लड़भडोल से 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कहा जाता है की इस मंदिर के फर्श पर सोने पर निसंतान महिलाओं को संतान की प्राप्ति हो जाती है। "सलिन्दरा" नामक यह त्यौहार साल में दो बार होने वाले नवरात्रों में आयोजित होता है। नवरात्रों में हिमाचल के साथ-साथ पडोसी राज्यों के कई निसंतान दम्पति संतान सुख पाने के लिए इस मंदिर का रुख करते है। पहले यह मंदिर कुछ स्थान तक ही प्रसिद्ध था लेकिन इंटरनेट की वजह से अब यह पुरे भारत में प्रसिद्ध हो चुका है। सिमसा माता को को माता शारदा संतान दात्री के नाम से भी पुकारा जाता है।बैजनाथ से इस मंदिर की दूरी 25 किलोमीटर तथा जोगिन्दर नगर से दूरी लगभग 50 किलोमीटर है।
चैत्र व शरद नवरात्रों में होने वाले इस उत्सव को लोकल भाषा में सलिन्दरा कहा जाता है, जिसका मतलब है सपना आना। नवरात्रों में निसंतान महिलायें मंदिर में आकर रहती करती हैं और सुबह-शाम पूजा करते हुए सिमसा माता के प्रागण के फर्श पर ही सोती हैं। बताया जाता है जो महिलाएं सिमसा माता पर भरोसा रखती हैं और पूरी श्रद्धा से माता की पूजा-अर्चना करती हैं सिमसा माता उन्हें सपने में किसी रूप में दर्शन देकर संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देती है। यदि कोई महिला सपने में कोई फल प्राप्त करती है तो इसका मतलब यह माना जाता है कि महिला को माता सिमसा से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिल गया है। बताया तो ये भी जाता है सिमसा माता सपने में ही संकेत दे देती है की लड़की होगी या लड़का।
पुरानी मान्यता के अनुसार, अगर महिला को अमरूद का फल मिलता है, तो वह लड़का होगा, अगर सपने में भिंडी मिले तो इस बेटी का सुख माना जाता है। यह भी कहा गया है कि अगर किसी महिला को सपने में धातु, लकड़ी या पत्थर से बना कुछ भी प्राप्त होता है, तो उसे समझना चाहिए कि उसके बच्चे नहीं होंगे।
अगर किसी महिला को सपने में संतान ना होने का संकेत मिल गया है तो वह महिला मंदिर में नहीं रह सकती। कहा जाता है की अगर निसंतान बने रहने का सपना प्राप्त होने के बाद यदि कोई महिला मंदिर से बिस्तर हटाकर बाहर नहीं जाती है तो उस महिला के शरीर में लाल दाग पड़ना शुरू हो जाते हैं, जिनमें बहुत ज्यादा खुजली होती है। ऐसा होने पर महिला को खुद ही वहां से जाना पड़ता है। संतान प्राप्ति का आर्शिवाद प्राप्र्त कर चुकी महिलायें बच्चे के जन्म के बाद अपने पुरे परिवार के साथ सिमसा माता का धन्यवाद करने के लिए वापिस मंदिर में भी आती हैं।
कैसे पहुंचे सिमसा माता :
अगर आप हिमाचल प्रदेश से बाहर किसी दूसरे राज्य के निवासी है तो हम आपको बता दे आपको सिमसा माता मंदिर पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट है। इसलिए आपको भारत के किसी भी हिस्से से आना है तो आप रेल द्वारा सबसे पहले पठानकोट (पंजाब) स्टेशन पर पहुंचिए उसके बाद वहां से आपको बस द्वारा हिमाचल के बैजनाथ आना होगा। पठानकोट से आसानी से आपको बैजनाथ के लिए बस मिल जाएगी। पठानकोट से बैजनाथ की दूरी लगभग 130 किलोमीटर है और सुबह 4 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक आपको हर आधे घंटे बाद पठानकोट से बैजनाथ के लिए बसें मिलेगी। बैजनाथ पहुँचने के बाद आपको सिमसा माता मंदिर के लिए लोकल बस या टैक्सी मिल जाएगी। बैजनाथ से सिमसा माता मंदिर की कुल दूरी लगभग 32 किलोमीटर है। इस रूट को कुछ इस तरह समझिये : पहले भारत के किसी भी हिस्से से रेल द्वारा पठानकोट >> फिर पठानकोट से बस द्वारा बैजनाथ >> फिर बैजनाथ से बस बदलकर लोकल बस या टैक्सी द्वारा सिमसा माता मंदिर पहुंचिए
बस द्वारा :
अगर आप बस द्वारा दिल्ली और चंडीगढ़ से आना चाहते है तो दिल्ली के महाराणा प्रताप बस अड्डे से आपको बैजनाथ के लिए बस पकड़नी होगी। दिल्ली से बैजनाथ से कुल दूरी लगभग 550 किलोमीटर है| बस यह दूरी पूरी करने में लगभग 13 घण्टे लगाती है। फिर बैजनाथ पहुंचकर आपको सिमसा माता के लिए लोकल बसें मिल जाएगी। सिमसा माता मंदिर बैजनाथ से लगभग 32 किलोमीटर दूर स्थित है। ऐसे में चंडीगढ़ से आने के लिए आपको सेक्टर 43 के काउंटर नंबर 16 से बैजनाथ के लिए बस पकड़नी होगी। चंडीगढ़ से बैजनाथ की दूरी लगभग 350 किलोमीटर है।
मंदिर में लग सकते है इतने दिन :
माता के दरबार में आने वाली महिलाओं को मंदिर के फर्श पर सोना होता है। मान्यता के अनुसार सोने के दौरान महिला को माता सपने में आकर फल देती है। इसलिए महिला को मंदिर में रहने के लिए कोई निर्धारित समय नहीं होता बल्कि जब तक माता सपने में आकर फल नहीं दे देती तब तक महिला को मंदिर में रहना होता है। महिला के सौभाग्य होने पर पहले नवरात्रे में ही सपने में माता के दर्शन हो जाते है। तो वह महिला उसी दिन पूजा करने के बाद अपने घर लौट सकती है। सपने में माता के दर्शन नहीं होने पर महिलाओं को सातवें या आठवें नवरात्रे तक भी इंतज़ार करना पड़ सकते है। इसलिए मंदिर में पहले से नौवें नवरात्रे तक कितने भी दिन लग सकते है। हालाँकि अगर बीच में महिला मंदिर से वापिस अपने घर जाना चाहती है तो वह पूजा छोड़कर जा सकती है।
घर से लाएं यह सामान :
संतान प्राप्ति के लिए मंदिर आने वाली महिलाओं को घर से एक स्टील का लौटा, 2 कंबल, 1 दरी व एक लाल रंग का घागरा (पेटीकोट) लाना होता है। यह घागरा महिला को मंदिर में पूजा के समय पहनना पड़ता है। दरी व कंबल महिला को मंदिर में सोने के लिए होते है। संतान प्राप्ति के लिए आने वाली महिलाओं के साथ पति का आना अनिवार्य नहीं होता है। अगर महिला का पति चाहे तो आ सकता है मगर अनिवार्यता नहीं है। केवल महिला का आना अनिवार्य है। नीचे दिए गए फोटो में आप घागरा व स्टील के लौटे का उपयोग देख सकते है।
रहने की व्यवस्था :
महिलाओं के साथ आने वाले अन्य पारिवारिक सदस्यों के लिए मंदिर कमेटी की तरफ से रहना, खाना, पीना सब मुफ्त में होता है तथा सोने के लिए कंबल वह रजाई भी कमेटी द्वारा उपलब्ध करवाए जाते है। नवरात्रों के दौरान मंदिर कमेटी तथा स्थानीय युवक मंडल द्वारा मुफ्त में भंडारे लगाए जाते है जो 10 दिन तक चलते है इसलिए रहने व खाने की चिंता बिलकुल न करें।
मौसम का हाल:
पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण मौसम रात को ठंडा हो जाता है इसलिए अपने साथ हलके गर्म कपड़े जरूर लाएं। सितम्बर या अक्टूबर माह के दौरान होने वाले शरद नवरात्रों में दिन में तो मौसम सुहावना बना रहता है लेकिन रात होने पर ठंड बढ़ जाती है। चैत्र नवरात्रों में मौसम गर्म रहता है इसलिए उस दौरान गर्म कपड़ों की जरुरत नहीं पड़ती। अतः अगर आप शरद नवरातों में संतान प्राप्ति के लिए मंदिर आने की सोच रहे है तो गर्म कपड़े जरूर साथ लाएं।
विशेष सुचना : ध्यान रहे की सिमसा माता मंदिर में संतान प्राप्ति का यह त्यौहार साल में दो बार चैत्र नवरात्रों व शरद नवरात्रों में ही आयोजित होता है। अगर आपको मंदिर में संतान प्राप्ति के लिए आना तो सिर्फ नवरात्रों में ही आएं। नवरात्रों में मंदिर आने के लिए कोई एडवांस बुकिंग नहीं की जाती है। महिलाएं पहले, दूसरे या तीसरे किसी भी नवराते में आ सकती है। पहले नवराते में आने पर भीड़ कम रहती है इसलिए मंदिर में सीट आसानी से मिल जाती है। दूसरे, तीसरे नवरात्रे के साथ मंदिर आने वाली निसंतान महिलाओं की भीड़ भी बढ़ती जाती है।
सिमसा माता मंदिर के बारे में पूरी जानकारी इस पेज पर लिख दी गयी है। फिर भी अगर आपको कुछ और जानकारी चाहिए तो कृपया इस नंबर पर +919592356824 , +919805334905 सम्पर्क करे।
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लुधियाना (पंजाब) के निवासी प्रमिन्द्र कौर पत्नि अमरजीत सिंह अपने जुड़वा बच्चों के साथ मां के दरबार में माथा टेकते हुए।
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