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लडभड़ोल : कहा जाता है कि जुनून जब हद को पार कर जाए तो वह पागलपन में बदल जाता है। लडभड़ोल क्षेत्र का एक व्यक्ति दिल्ली में रहता है जिसे पर्यावरण से कुछ इस तरह का प्यार है कि वह उसकी खातिर कुछ भी कर जाये। इस व्यक्ति का जीवन आज की पीढ़ी के लिये मिसाल है की अगर मन में अपने समाज के लिये कुछ करने का जज्बा़ हो ते रास्ते अपने आप निकलते जाते हैं।
दिल्ली अकसर अपनी खराब हवा के चलते सुर्खियों में रहती है। आज हम लडभड़ोल क्षेत्र के पीहड-बेहड़लु पंचायत के फनेहड़ गांव के निवासी पूर्ण चंद राणा के बारे में बात करेंगे जिन्होंने करीब 20 साल पहले दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के बाहर लगभग 35 पौधे लगाए थे। आज यही पौधे बड़े-बड़े पेड़ बन चुके है जो दिल्ली को आबोहवा को शुद्ध करने में अपनी भूमिका निभा रहे है। पूर्ण चंद राणा वर्तमान में रेलवे स्टेशन में टेक्सी चालक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे है।
लडभड़ोल क्षेत्र के निवासी पूर्ण चंद दिल्ली के सराय कालेखां स्थान पर रहते है। साल 1983 में रोज़गार के सिलसिले में उन्होंने लडभड़ोल क्षेत्र से दिल्ली का रुख किया था। लडभड़ोल जैसे पहाड़ी क्षेत्र में पैदा होने की वजह से बचपन से ही उनका जुड़ाव प्रकृति से था इसलिये उन्होंने दिल्ली को भी हरा-भरा करने की ठानी। 20 साल पहले उन्होंने रेलवे स्टेशन के बाहर लगभग पीपल, नीम सहित 35 छोटे-छोटे पौधे लगाकर वातावरण को स्वच्छ बनाने की कोशिश की।
पूर्ण चंद रोज़ाना इन पौधों में पानी डालते थे व सुबह शाम इनकी देख रेख करते थे। एक साल के अंदर ही यह पौधे बड़े हो गये। धीरे-धीरे बढ़ते हुए यह पौधे अब पेड़ बन चुके है जो वहां से गुज़रने वाले कई यात्रियों को छाया तथा शुद्ध हवा प्रदान कर रहे है। वहां मौजूद सैंकड़ों टैक्सी चालक इन्ही पेडों के नीचे बैठते है व अपनी गाड़ियां वहीं पार्क करते है। पूर्ण चंद द्वारा किये गए इस कार्य की हर कोई सराहना करता है। आज सभी लोग उनकी 20 साल पहले शुरू की गयी इस पहल का गुणगान करते नहीं थकते।
पूर्ण चंद राणा का कहना है कि अगर कोई अपनी जिंदगी में पांच पेड़ नहीं लगाता है तो उसे चिता पर जलने का हक नहीं है। हर व्यक्ति को कम से कम पांच पेड़ लगाने चाहिए।
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उगाये गए पेडों के साथ पूर्ण चंद राणा
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फनेहड गांव निवासी पूर्ण चंद राणा
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