22 October 2015

गरीब छात्रों के लिए "फरिश्ता" है लडभड़ोल स्कूल के यह लेक्चरर, मिलिए अशोक ठाकुर से

लडभड़ोल : किसी भी छात्र के जीवन में शिक्षक की अहम भूमिका होती है। कहा जाता है की किसी भी व्यक्ति को एक अध्यापक ही श्रेष्ठ और परिपूर्ण बना सकता है। वो अध्यापक ही है जो अपने संयम, विचार, व्यव्हार, बुद्धिमता, सहनशीलता से बच्चों को श्रेष्ठ बनाते हैं। शिक्षक को भगवान का दूसरा रूप माना गया है। शिक्षकों की भूमिका को भला कौन भूला सकता है। आज हम आपको लडभड़ोल क्षेत्र के एक ऐसे ही आधुनिक अध्यापक के बारे में बताने जा रहे है जिन्होंने एक ऐसी ही मिसाल पेश की है।

दिन प्रतिदिन महंगी होती शिक्षा से जहां लोग बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाने में ही हांफ जाते हैं, वहीं राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला लडभड़ोल में राजनितिक शास्त्र विषय के प्रवक्ता अशोक ठाकुर ने हाल ही में घोषित ग्यारहवीं कक्षा के परिणामों में 95 फीसदी अंक प्राप्त करने वाली लडभड़ोल स्कूल की एक होनहार छात्रा का बारहवीं कक्षा में आने वाला पूरा खर्चा उठाने का एलान किया है। खद्दर गांव की निवासी इस मेधावी छात्रा का नाम प्रिया सकलानी है और वह गरीब परिवार से संबन्ध रखती है। अशोक ठाकुर छात्रा के लिए वर्दी, जूते, स्कूल फीस के आलावा किताबों का सारा खर्च उठाएंगे।

इतना ही नहीं अशोक ठाकुर ने कहा है की जमा दो कक्षा के आगामी परिणाम में लडभड़ोल पाठशाला का कोई भी विद्यार्थी अगर मेरिट की टॉप 10 लिस्ट में आता है तो वह उसे 21 हजार रूपए का इनाम देंगे। इसके आलावा भी अशोक ठाकुर समय-समय पर गरीब छात्रों की आर्थिक सहायता भी करते रहते है। वह पाठशाला के गरीब मेधावी छात्रों को ड्राई फ्रूट्स, लेखन सामग्री, पुस्तकें उपलब्ध करवाते रहते है। गरीब बच्चों की शिक्षा में कोई कमी न रह जाए इसका वह समय-समय पर ख्याल रखते है। पिछले वर्ष भी उन्होंने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला भराड़पट्ट में 10 कुर्सियां दान दी थी।

पीहड-भेहड़लु पंचायत के भलारा गांव निवासी अशोक ठाकुर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला लडभड़ोल में राजनितिक शास्त्र विषय के प्रवक्ता के पद पर तैनात हैं। लडभड़ोल.कॉम से बात करते हुए अशोक ठाकुर ने बताया कि बच्चों का शिक्षित होना बहुत ही आवश्यक है। अगर बचपन में वह शिक्षा से वंचित रह गए तो आगे चलकर उनका जीवन गलत मार्ग पर जा सकता है। बच्चों के साथ ऐसा कुछ न हो इसे ध्यान में रखते हुए वह बच्चों की शिक्षा में अपनी सहायत करते रहते है। बच्चों को शिक्षित करने में वह पैसों का मोह नहीं करते । बच्चों के परिवार भी उनके इस काम की प्रशंसा करते है और बच्चों को पढ़ाई करते व खिलखिलाते देखकर खुशी मिलती है। जो बच्चे पैसे की कमी की वजह से स्कूल की किताबें या स्टेशनरी नहीं ले पाते उनके लिए ज़रूरी चीज़ें खरीद लेते है इससे उन्हें सकून मिलता है।

अशोक ठाकुर अपनी इस सराहनीय पहल से वह लडभड़ोल क्षेत्र के दूसरे शिक्षकों के लिए प्रेरणा का जरिया बन गए है।





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