लडभड़ोल : एक नहीं बल्कि लडभड़ोल तहसील में दो नदियां हैं, ब्यास और बिनवा। फिर भी यहां के लोग प्यासे हैं। गर्मी आते ही पेयजल किल्लत शुरू हो जाती है। गर्मियां शुरू होते ही लडभड़ोल तहसील के कई गावों या यूँ कहें की सभी गांवो को पानी की किल्लत से दो-चार होना पड़ता है। सरकार बदली, पंचायते बदली , नहीं बदली तो लडभड़ोल तहसील वालों की किस्मत, जिसमें शायद पानी का सुख नहीं है। एक तो भयंकर गर्मी और दूसरी ओर कई-कई दिनों तक नलकूपों में पानी का नामोनिशान नहीं होता। यही बात सोच कर इस लडभड़ोल तहसील के ग्रामीण कभी विधायक को कोसते हैं तो कभी अपनी किस्मत पर रोते है।
आजादी के 70 साल बाद भी पानी को तरसे
जोगिंद्रनगर में राजनीति की शुरुआत ही ठाकुर गुलाब सिंह (एक असफल नेता) के नाम से होती है। लेकिन उनको तो छोड़िए अपने आप को जनता का की सबसे बड़ी हितैषी कहने वाली कांग्रेस सरकार ने भी यहां के विकास की सुध नहीं ली। दावे एक से बढ़ कर एक किए गए। लेकिन आजादी के 70 साल बाद भी लडभड़ोल के गांव सिर्फ पानी के लिए ही तरस रहे है तो इससे ज्यादा दुःख की बात और क्या हो सकती है।
ब्यास नदी के तट पर स्थित होने के बावजूत ऊटपुर में पानी नहीं
इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि ब्यास नदी के तट पर स्थित होने के बावजूत ऊटपुर गांव के लोगों को पानी के लिए तरसना पड़ता हो। आईपीएच विभाग के पास ऐसा कोई प्लान है जिससे ऊटपुर के लोगों की प्यास बुझ सके। ऊटपुर गांव के लोग पानी की किल्लत से बहुत परेशान हैं और जल्द किसी समाधान की गुहार लगा रहे हैं। पिछले कई दिनों से उनके घरों में पानी नहीं आया है।
आईपीएच विभाग बिलकुल लापरवाह
लडभड़ोल.कॉम से बात करते हुए कुछ स्थानीय लोगों ने बताया की उन्होंने आईपीएच विभाग के कर्मचारियों इस समस्या के बारे में अवगत तो करवाया है लेकिन कर्मचारी भी स्त्रोतों से पानी की कम सप्लाई होने का राग अलापते है। स्थानीय लोगों को इस बात की नाराजगी भी है कि जब पानी का स्त्रोत ब्यास नदी है तो स्त्रोत में पानी की कमी कैसे हो सकती है। यहां पर विभाग के कर्मचारियों और खुद आईपीएच विभाग की लापरवाही साफ तौर पर नज़र आ रही है।
लोग पानी जुटाने में लगा रहे एड़ी-चोटी का ज़ोर
ऊटपुर में लोगों को दिनचर्या के लिए भी पानी जुटाने में एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। वर्तमान में पुरे हिमाचल में आईपीएच विभाग ने बुलंदी के कई आयाम स्थापित किए हों, लेकिन लडभड़ोल के आईपीएच विभाग ने अभी ऐसा कोई काम नहीं किया है जिससे उसकी ज़रा से भी तारीफ की जाये।
सों गांव में हालत खराब
लडभड़ोल के पीहड-बेहड़लु पंचायत के सों गांव में जनवरी और फरवरी का महीना आते ही पानी सूखने लगता है। फिर मार्च, अप्रेल, मई और जून का महीना ग्रामीणों पर इतना भारी पड़ता है कि उन्हें पानी के लिए दूर दूर तक भटकना पड़ता है।
रात-रात भर जग कर देना पड रहा पहरा
यहां गर्मियो में पानी का ना आना अपने आप में बहुत बड़ी समस्या है पर कभी भूल से अगर पानी आ भी जाता है तो वो भी पीने लायक नहीं होता। यहां हालात इतने खराब हैं कि महिलाओं को रात-रात भर जग कर पहरा देना पड़ता है ये देखने के लिए कि पानी आ रहा है या नहीं। रात में ये महिलायें पानी का इंतजार इस तरह करती हैं मानो कोई अपना दूर से घर आ रहा हो।
लोग पहन रहे गंदे कपड़े
सों गांव एक निवासी परिवार ने लडभड़ोल.कॉम से बात करते हुए बताया इनके किचन के सिंक में बिना मांजे झूठे बर्तन रखे हैं। यही हाल इनके बाथरूम का भी है जहां बाल्टी खाली रखी है। उनकी की मानें तो बीते 1 महीने से पानी की बहुत किल्लत हो रही है। पानी कभी कभी आता है लेकिन वो भी कुछ देर के लिए जिससे जरूरत मुताबिक पानी नहीं भर पा रहे हैं। यही नहीं जब पीने के लिए पानी नहीं तो भला कपड़े धोने का पानी कहां से आए। ऐसे में ये रोज गंदे कपड़े ही पहन रहे हैं।
विभाग गहरी नींद में
पानी की किल्ल्त के कारण पूरी लडभड़ोल तहसील बेहाल है लेकिन विभाग गहरी नींद में सोया हुआ है। आईपीएच विभाग को अपने दायित्वों से पल्ला नहीं झाड़ना चाहिए बल्कि जनता के प्रति अपनी जबाबदेही मानते हुए अपना फ़र्ज़ निभाते हुए तत्काल पानी उपलब्ध करवाने की दशा में तुरंत प्रयास करने चाहिए।
देखें तस्वीरें :
पानी के स्त्रोत से पानी निकलती महिलाएं
पानी के लिए लगी वर्तनो की कतारें
स्त्रोत से निकल रहा सिर्फ कीचड़
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