22 October 2015

माध्यमिक पाठशाला दलेड़ में मनाया गया राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस, पढ़िए क्या होता है यह

लडभड़ोल : पोलियो के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई लड़ने के बाद अब स्वास्थ्य विभाग बच्चों को कृमि मुक्त करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर विशेष अभियान चला रहा है। इसी के चलते वीरवार 27 अप्रैल को लडभड़ोल के राजकीय माध्यमिक पाठशाला दलेड़ में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन किया गया।

राजकीय माध्यमिक पाठशाला दलेड़ में से 19 साल के विद्यार्थियों को सरकार द्वारा मुफ्त में उपलब्ध करवाई गयी अलबंडाजोल कृमि नासक दवाईं की खुराक खिलाई गयी। जिसमें मुख्य शिक्षक केदारनाथ और पाठशाला के प्रभारी सुभाष ने अपनी देखरेख में इस कार्यक्रम को सफल बनाया। साथ ही साथ सभी बच्चों व अभिवावकों को कृमि से सम्बंधित जानकारियां दी गयी एवं कृमि नियंत्रण की दवाईं खिलाने के साथ-साथ कृमि संक्रमण की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण उपाय बताया।

कृमि संक्रमण की रोकथाम के लिए घरेलू-व्यवहार में आनेवाली छोटी-छोटी बातें बताई गयी जैसे – खुले में शौच ना करना , हमेशा शौचालय का व्यवहार करना। खाने से पहले हाथ को साफ़ से धोना , हमेशा साफ पानी पीना । नाख़ून साफ और छोटे रखना , आस पास सफाई रखना , खाने को ढक कर रखना , साफ़ पानी से फलों-सब्जियों को धोकर प्रयोग करना|

कृमि क्या है?
कृमि परिजीव होते हैं, जो जीवित रहने के लिए मनुष्य की आंत में रहते हैं। कृमि से संक्रमण संक्रमित बच्चे के शौच में कृमि के अंडे से होता है। बच्चों के खुले में शौच करने से कृमि के अंडे मिट्टी में मिल जाते हैं और विकसित हो जाते हैं। बच्चों में कृमि के अंडे व लार्वा रहने से बच्चों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है। बच्चों में आमतौर पर तीन तरह के कृमि पाए जाते हैं। इनमें राउंड, वहिप व हुक कृमि शामिल हैं।

ये लक्षण पाए जाते हैं
पेट में कृमि होने पर बच्चे को खून की कमी (अनीमिया), कुपोषण, भूख न लगना, थकान व बेचैनी, पेट में दर्द, मितली, उल्टी और दस्त तथा मल में खून आना आदि लक्षण शामिल हैं। कृमि बच्चों के नंगे पैर खेलने, बिना हाथ धोये खाना खाने से, खुले में शौच करने से और शरीर की सफाई न रखने से फैलता है।

संक्रमण की रोकथाम के उपाय
अभिभावकों को छोटे बच्चों के नाखून साफ और छोटे रखने चाहिए। आसपास की सफाई के साथ-साथ खाने को हमेशा ढककर रखें, खुले में शौच न करें, शौच के बाद अपने हाथ साबुन से धोयें और स्वच्छ जल का इस्तेमाल करें। कृमि नियंत्रण दवा की खुराक से बच्चों में खून की कमी में सुधार, बेहतर पोषण स्तर, रोग प्रतिरोधक क्षमा बढ़ाने में मदद मिलती है।


राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के मौके पर चित्र खिंचवाते हुए अध्यापक और छात्र




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