लडभड़ोल : कई सालों से हर महीने की 7 व 22 तारीक को पावर कट लगाकर लडभड़ोल तहसील में बिजली के ढांचे को मजबूती प्रदान कर रहे विद्युत बोर्ड की व्यवस्था की पोल रविवार रात आयी बारिश ने चंद मिनटों में ही खोलकर रख दी। यहाँ बिजली की तारों की महीने में दो बार बेशुमार मरम्मत की जाती है लेकिन व्यवस्था बिलकुल बेहाल है। हल्की हवा चलने पर भी कई कई घण्टे तक बिजली गुल रहती है।
विद्युत् विभाग प्रकृति के आगे बेबसी का रोना रोता है लेकिन सवाल इसलिए बड़ा है कि विभाग हर महीने की 7 व 22 तारीक को इस दलील के साथ लडभड़ोल तहसील की बिजली बंद रखता है कि यहां तारों को इस कदर मजबूत किया जाए कि कभी बिजली ही बाधित न हो। इस कार्य के लडभड़ोल के सभी सरकारी कार्यालयों में छुट्टी वाली स्थिति ही रहती है। बैंक सहित मोबाइल टावर पूरा दिन जेनरेटरों के साथ अपना कार्य तो करते हैं, लेकिन लडभड़ोल की आबोहवा में भी जहर घोलने में कसर नहीं छोड़ते हैं। कभी भी बिजली बंद न हो, इस दलील के साथ मरम्मत करना तो सुकून देता है, लेकिन यह मरम्मत चंद मिनटों के तूफान व हवा के आगे बेबस हो जाए तो सवाल उठना लाजिमी है।
रविवार रात को भी ऐसा ही एक नज़ारा देखने को मिला। रविवार रात को ऊटपुर तथा सांढा गाँव शादियां थी| दोनों जगहों पर बारातें आयी हुई थी लेकिन बिजली न होने के कारण विवाह की रौनक फीकी पड़ गयी। शाम को हलकी बारिश शुरू होते ही बिजली गुल हो गयी। बिजली कभी आ रही थी कभी जा रही थी। शादियों की रसमें अधेंरे में ही करवानी पड़ी। रात को लगभग 11 बजे के बाद बिजली की आँख मिचौली बन्द हुई। तूफान तो दूर की बात है हल्की सी हवा चलने पर भी इस यहाँ की बत्ती गुल हो जाती है। देर शाम यदि बिजली गुल हो गई, तो समझो वह 12 घंटे के बाद ही आएगी।
हैरानी की बात यह है कि लडभड़ोल क्षेत्र में अभी ऐसी व्यवस्था ही नहीं हो पाई है कि एक लाइन बंद होने के बाद तुरंत दूसरी बहाल कर दी जाए। इस बारे में गांव के लोग समय-समय पर संबंधित विभाग के कर्मचारियों को अवगत करवाते हैं तथा स्थायी हल करने का आग्रह भी करते हैं, लेकिन विद्युत कर्मचारी सिर्फ ट्रांसफार्मर में फ्यूज डालने का कार्य करते हैं, लेकिन स्थायी हल नहीं करते।
22 October 2015
रविवार को बिजली की आँख मिचौली से ऊटपुर व सांढा गाँव में शादियों की रौनक हुई फीकी
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