लडभड़ोल : दुनिया की भी अजीब बात है कुछ लोग तो जीते-जी अपने आप को समाप्त कर लेते हैं, तो कुछ लोग मरने के बाद भी इस धरती पर अपने आप को जीवित छोड़ ज़ाते है| ऐसी ही एक मिशाल कायम की है ऊटपुर पंचायत के सांढा गाँव के 36 वर्षीय अजय कुमार ने जो आज हमारे बीच नही है|
सांढा गाँव के अजय कुमार दिल्ली में 26 दिसम्बर की शाम को अपनी बाइक पर घर लौट रहे थे तभी रास्ते में एक कार ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी| इस सडक हादसे में वह बुरी तरह घायल हो गये थे| उनके सिर में गहरी चोटें आयी थी| हादसे के बाद उन्हें दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल ले जाया गया जहाँ उनका इलाज चल रहा था| अस्पताल के डॉक्टरों ने उनकी हालत पर सतत निगरानीे रखी थी लेकिन चोटें गहरी होने के कारण उनकी हालत में कोई सुधार नही हुआ| 29 दिसम्बर को डॉक्टरों ने अजय कुमार को दिमागी रुप से मृत (Brain Dead) घोषित कर दिया| अजय कुमार चार वर्षीय बच्चे के पिता भी थे|
इसके बाद सर गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों ने अजय कुमार के परिजनों से जरुरतमंद मरीजों को नया जीवन देने के लिये अजय के महत्वपूर्ण अंग दान करने की चर्चा की| अजय के परिवार पर उनकी मौत का सदमा था, फिर भी उन्होंने अंग दान करने का साहसिक फैसला ले लिया। इतने मुश्किल वक़्त में भी अजय के परिवार को औरों की जिंदगी बेहतर बनाने का ख्याल रहा। इससे परोपकारी काम तो कोई हो ही नहीं सकता। परिवार के लिए यह मुश्किल घड़ी थी , लेकिन अंग दान का फैसला लेकर उन्होंने एक मिशाल कायम कर दी है|
परिवार की स्वीकृति के बाद अजय का लीवर 48 वर्षीय व्यक्ति में ट्रांसप्लांट किया गया है। इसके बाद दो किडनी ट्रांसप्लांट 59 व 64 वर्षीय व्यक्तियों में किये गए है| ये तीनो व्यक्ति लिवर व किडनियों की गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे| सभी सर्जरी सफल रही है और मरीजों में सुधार देखा जा रहा है। हालाँकि दिल के मरीज़ के उपलब्ध न होने के कारण अजय के दिल का उपयोग नही हो सका|
अजय के परिवार के एक फैसले से तीन लोगों को नई जिंदगी मिली है। हम लोगों से अपील करेंगे कि वे भी ऐेसे कठिन समय में हिम्मत रख कर ऐसे फैसले कर सकते हैं। जान तो केवल भगवान बचाता है। अगर कोई इंसान किसी के जान बचाने के काम आ जाए तो इससे बेहतर और क्या होगा| अजय के परिवार को बेटे को खोने का गम तो हमेशा रहेगा लेकिन इस बात फक्र भी होगा कि मौत के बाद उनके बेटे की बदौलत कई लोगों को नया जीवन मिला है|
हम उनसे सिर्फ यही कहना चाहते है की ‘‘उनका बेटा मरा नहीं… अमर हो गया है"।
22 October 2015
मौत के बाद भी तीन लोगों को नई जिंदगी दे गए सांढा गाँव के 36 वर्षीय अजय
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