बैजनाथ : विश्व विख्यात एवं करोड़ों लोगों की आस्था का प्रतीक पुरातन धरोहर शिव मंदिर बैजनाथ का अस्तित्व खतरे में है। पिछले कई वर्षों से हो रहे भू-स्खलन के चलते मंदिर के साथ वाली ढांक में पुनः उस भू-स्खलन के कारण भूमि विभाग बेबस नजर आ रहे हैं।
कुछ वर्ष पूर्व उसी ढांक के पास बने खीर गंगा घाट में हुए भू-स्खलन के लिए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह एवं उस समय बैजनाथ क्षेत्र के विधायक सुधीर शर्मा मौजूदा शहरी विकास मंत्री के प्रयासों से 40 लाख की राशि उपलब्ध करवाई गई, मगर वह धनराशि खीर गंगा घाट के पास बने डंगे पर ही खर्च हो गई। मगर शिव मंदिर के पास हो रहे भू-स्खलन पर आज तक कुछ न हो सका।
विश्व की धरोहर शिव मंदिर बैजनाथ के लिए यह लगातार हो रहा भू-स्खलन खतरे का सूचक है। इस बारे भोलेनाथ के भक्त विधायक किशोरी लाल ने इस बात का कड़ा संज्ञान लिया है। उनका कहना है कि इस मामले को मैं अब विधानसभा में उठाऊंगा। उनका कहना है कि वार्षिक योजना 2014-15 में विधायक प्राथमिकता के तहत मैंने बैजनाथ शिव मंदिर के साथ लैंडस्लाइड को रोकने का मुद्दा उठाया था। उस स्थान का जहां भू-स्खलन हो रहा है, का निरीक्षण 17 दिसंबर, 2014 को वन मंडल अधिकारी पालमपुर ने किया व पाया कि 100 मीटर लंबी 70 मीटर ऊंची आरसीसी दीवार लगाकर इसे रोका जा सकता है।
उन्होंने अपनी रिपोर्ट में विभाग के पास न लेबर न मशीनों का हवाला देकर अपनी असमर्थता जताई थी। किशोरी लाल ने कहा कि अब मैं इस मुद्दे को विधानसभा में उठाऊंगा, ताकि प्राचीन शिव मंदिर को बचाया जा सके।
शिव मंदिर बैजनाथ का चित्र
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