लडभड़ोल : लडभड़ोल क्षेत्र के कुड नामक (नागेश्वर महादेव) स्थान में भगवान शिव के शिवलिंग प्राकृतिक रूप से एक गुफा में विराजमान हैं। इन शिवलिंगों में प्राकृतिक रूप से जलधारा गिरती रहती है जोकि अपने आप में एक चमत्कार से कम नहीं है। किवदंती के अनुसार जब -जब सूखे सी स्थिति होती थी तो आसपास के गाँवों के लोग बारिश की मन्नत (स्थानीय भाषा में गड्डू ढालना) लेकर यहाँ आते थे महादेव की कृपा से भक्तों की मन्नतें पूरी भी होती थीं। इस स्थान की भी बड़ी दिलचस्प कहानी है।
कई शिवलिंग हैं यहाँ
इस गुफा में भगवान शिव के कई लिंग विराजमान हैं जिन्हें देखकर मन प्रफुल्लित हो जाता है। सदियों पुराने इस शिवलिंग गुफा की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। कहते हैं सालों साल पहले जब इस क्षेत्र में कोई बारिश नहीं होती थी तो क्षेत्रवासी बारिश करवाने के लिए यहाँ हाजरी लगाते थे।
जब लोगों की मन्नत हुई पूरी
प्रत्यक्षदर्शियों चीनी राम, फतेह सिंह, सुन्दर सिंह आदि सैंकड़ो लोगों के अनुसार 1957-58 में जब लगातार तीन महीनों से कोई बारिश नहीं हुई तो मई महीने में एक बार सूखा पड़ने की स्थिति पैदा हो गई तो एक हफ्ता पहले सभी को सूचना दी गई कि सभी गावों के लोग रविवार के दिन (गड्डू ढालना) आयेंगे। इस प्रकार रविवार के दिन आस -पास के सभी लोग तथा भड़ोल स्कूल के छात्र कुल मिलाकर लगभग तीन चार सौ लोग अपने घर से बर्तन लेकर आए तथा साथ लगती खड्ड से पानी लाये और प्रकृतिक रूप से स्थापित शिवलिंग के ऊपर डालते रहे तथा जैसे ही शिवलिंग में चढ़ रहा पानी नीचे स्थित उसी खड्ड में पहुंचा तो एकदम घने काले बादल छा गये और बारिश होने लगी। तभी से यह स्थान और विख्यात हो गया।
लोगों ने देखा शिव का साक्षात चमत्कार
बारिश शुरू होते ही सैंकड़ों लोगों ने इस पवित्र स्थान में भगवान महादेव का साक्षात चमत्कार अनुभव किया तथा अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। इस प्रकार यह स्थान स्थानीय लोगों के लिए आस्था का केंद्र बन गया।
बाबा कुटिया भी है यहाँ
इस स्थान से कुछ ही मीटर की दूरी पर बाबा की कुटिया भी स्थित है जहाँ रात्रि को ठहरने के लिए सराय का भी निर्माण किया गया है। इस जगह की विशेषता यह है कि कुटिया एक गुफानुमा पहाड़ी के नीचे स्थित है जहाँ बारिश नहीं होती। यह भी अपने आप में एक चमत्कार से कम नहीं है। सावन के महीने में यहाँ दूर दूर से भक्त पूजा अर्चना करने आते हैं और धन्य हो जाते हैं।
सड़क सुविधा से जुड़ा है मंदिर
यह स्थान सड़क सुविधा से जुड़ चुका है. इस स्थान के लिए भड़ोल -गागल के बीच से सड़क जाती है। सड़क के शुरुआत में ही मुख्य द्वार बनाया गया है जहाँ से कुड महादेव की अनुभूति भक्तों को हो जाती है।
ऐसे पहुंचें
कांगड़ा की तरफ से आने वाले भक्त बैजनाथ से तथा मंडी की तरफ से आने वाले भक्त जोगिन्दरनगर होते हुए बैजनाथ या एहजू से गोलवाँ होते हुए भी आ सकते हैं। भड़ोल नामक स्थान से कुछ ही दूरी पर स्थित है यह भव्य स्थान। इस स्थान से कुछ ही दूरी पर स्थित है संतान दात्री माँ सिमसा का भव्य दरबार जहाँ निसंतानो को संतान सुख प्राप्त होता है।
22 October 2015
जब सूखा पड़ने पर कुड महादेव में लोगों ने देखा था साक्षात चमत्कार, पढ़ें दिलचस्प कहानी
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