22 October 2015

चुल्ला प्रोजेक्ट में पाइपों के नीचे लकड़ी के फट्टे लगाकर उद्घाटन की तैयारी, 3 गांव को खतरा

लडभड़ोल : चुल्ला प्रोजेक्ट का प्रबंधन गत 13 वर्षो से निमार्णधीन 100 मैगावाट की उहल चरण तीन पनबिजली परियोजना (चुल्ला प्रोजेक्ट) के पेनस्टाक को जुगाड़ के सहारे टिकाकर उद्घाटन की तैयारियों में जुटा हुआ है। इस प्रोजेक्ट में प्रयोग की गयी पाइपों को लकड़ी के फट्टों के सहारे टिकाया जा रहा है। क्या इस प्रोजेक्ट का उदघाटन क्या आगामी मई माह में हो पायेगा, इसको लेकर अभी से सवाल उठने शुरू हो गये हैं।

कई बड़ी अख़बारों में छपी हुई खबरों के अनुसार पेनस्टाक के कई पिलरों में दरारें आने से परियोजना प्रबंधन द्वारा पाइपों के नीचे लकड़ी के फट्टे का जुगाड़ लगाकर टेस्टिंग की जा रही है। इससे पेन स्टाक के कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठना शुरू हो गए है। ट्रायल में ही परियोजना प्रबंधन की पोल खुलने पर इसके साथ सटे तीन गावों के 800 लोगों पर भी खतरा मंडरा रहा है।

कहा जा रहा है कि पेनस्टाक में पानी भरते समय दरारेे देखी गयी उस को रिसाव रोकने के लिये विभाग ने विशेष तौर से बाहर से केमिकल मंगवाया है। उस केमिकल को अब प्रयोग में लाया जाएगा। उम्मीद जताई जा रही है कि उस केमिकल से लिकेज को ठीक करने में विभाग को कामयाबी मिल पायेगी। लेकिन लिकेज बन्द नहीं हुई तो परियोजना के शुरू होने में और भी देर हो सकती है।

जाहिर है कि मच्छयाल से चुल्ला तक करीब 8 किमी की टनल बनाई गयी है। चुल्ला से उपर रक्तल साईट के पास ही विभाग को लीकेज को दूर करने के लिये परेशानी पेश आ रही है। परियोजना प्रबंधन अपनी खामियों को छुपा कर इस परियोजना का जैसे तैसे उदघाटन करवाना चाहती है। लेकिन उनकी यह जल्दबाजी स्थानीय गांव गुलाणा,सनहाली तथा रक्तल के लोगों के लिये जानलेवा भी साबित हो सकती है। पेनस्टाक को लकडी के स्लीपरों के सहारे खडा रखना जोखिम भरा दिखाई पडता है।

स्थानीय निवासियों का कहना है की यदि यहां हादसा पेश आया तो तीनों गांव पर यह परियोजना भारी पड सकती है। पेन स्टाक में पूरे प्रेशर से जब पानी डाला जायेगा, तो कही से इसके फटने का अंदेशा बना हुआ है। हालाँकि इस खबर के माध्यम से हमारा मकसद लोगों में दहशत फैलाना नहीं है बल्कि सच की जानकारी देना है की पेनस्टाक में पडी दरारों को हल्के में नहीं लिया जा सकता। लोगों ने कहा कि वर्ष 2009 ही परियोजना के निर्माण पर सवाल उठाये थे तथा इसकी गुणवता की जांच सीबीआई तथा ऐटीक्रप्शन विभाग से करवाने की मांग की थी।

उधर परियोजना के अधिशाषी अभियन्ता राजीव शर्मा ने कहा कि परियोजना की टेस्टिंग का कार्य चल रहा है कोई भी त्रुटी सामने आती है तो उसे ठीक किया जायेगा। उन्होने कहा कि टेस्टिंग के दौरान एक पीलर में दरारेे देखी गयी है इस त्रुटी को दूर किया जा रहा है। सभी त्रुुटीयों को दूर करने के पश्चात ही परियोजना का शुभारम्भ किया जायेगा।

बता दें कि उहल चरण तीन परियोजना का कार्य वर्ष 2004 में शुरू किया गया था जिसको 2008 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था जिस पर 432 करोड रू खर्चा आने की बात कही गयी थी लेकिन अब इस परियोजना में करीब 1500 करोड से उपर खर्च किये जा चुके हैं, लेकिन अभी भी यह प्रदेश को समर्पित नहीं हो पायी है।


पेनस्टाक पिलर में आयी दरार
पानी का प्रेशर पड़ने पर टुटा हुआ पिलर




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