22 October 2015

मंगलवार को लडभड़ोल बाजार में सैकड़ों लोगों ने किया जोरदार प्रदर्शन, ये रही वजह

लडभड़ोल : हिमाचल किसान सभा के बैनर तले सभा के राज्य उपाध्यक्ष कुशाल भारद्वाज के नेतृत्व में आज लडभड़ोल में सैंकड़ों किसानों ने अपनी मांगों को लेकर पेट्रोल पम्प से बस अड्डा होते हुए तहसील कार्यालय तक मार्च किया। आज के इस किसान-मार्च में पुरुषों के साथ-साथ महिला किसानों की भी जबरदस्त भागीदारी रही। स्थानीय बस अड्डे पर रैली करने के बाद प्रदर्शनकारियों ने तहसीलदार के माध्यम से मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर को मांगों संबंधी ज्ञापन भी भेजा।

इस अवसर पर राज्य उपाध्यक्ष कुषाल भारद्वाज ने कहा कि इस ईलाके की सबसे बड़ी समस्या बंदर व सूअर हैं। बंदरों व सूअरों ने किसानों को लगभग बर्बाद कर दिया है। हर उपाय अपनाने के बाद भी फसल न बचने से अब किसानों ने मजबूरन खेेती करना ही छोड़ दिया है। आय के अन्य साधन न होने से परिवार की गुजर-बसर करना मुश्किल हो गया है। इन जानवरों के हमलों में कई लोग गंभीर रूप से घायल भी हो चुके हैं, लेकिन हमारी सरकारें व जनप्रतिनिधि समस्या के समाधान के प्रति गंभीर नहीं हैं। कुछ राजनीतिक पार्टियां व प्रत्याशी वोट बटोरने के लिए जनता पर कई तरह से डोरे डालते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद उसी जनता को वे बेसहारा छोड़ देते हैं।

उन्होंने मांग की कि बंदरों व सूअरों को वर्मिन घोशित कर किलिंग अभियान चलाया जाए। नष्ट फसल व खेती से पलायन को मजबूर हुए किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए। उन्होंने मांग की कि फसलों की पहरेदारी के लिए मनरेगा के माध्यम से राखे रखे जाएं। उन्होंने कहा कि विधायक के इस आश्वासन के बावजूद की चुनाव जीतने के एक महीने के अंदर लडभड़ोल में डाक्टरों के रिक्त सभी 7 पद तुरंत भरे जाएंगे, 3 महीने गुजरने के बावजूद सिर्फ एक डाक्टर की नियुक्ति हुई है। उन्होंने कहा कि लगभग 20 पंचायतों की जनता ईलाज के लिए इसी सीएचसी पर निर्भर है और यहां पर डाक्टर न होना हमारी सरकार व जनप्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली को उजागर कर देता है।


उन्होंने मांग की कि डाक्टरों के सभी रिक्त पद तुरंत भरे जाएं। इसी तरह स्कूलों में अध्यापकों के सभी रिक्त पद भरे जाएं। लडभड़ोल क्षेत्र में अनेकों गांवों में पीने के पानी की भारी कमी है। उठाउ पेयजल योजनाओं्र के माध्यम से इस समस्या का स्थाई समाधान किया जाए। लडभड़ोल क्षेत्र में सड़कों की हालत बेहद खराब है। उन्होंने मांग की कि एक सप्ताह के अंदर सभी सड़कों की हालत सुधारने व टायरिंग बिछाने के लिए कार्य षुरू किया जाए। उन्होंने कहा कि मनरेगा को सही ढंग से लागू नहीं किया जा रहा है। क्षेत्र की कई पंचायतें ऐसी हैं जहां पूरे साल में 10 दिन का काम भी आवेदकों को नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि आवेदकों को आवेदन फार्म की तिथि सहित रसीद देना निष्चित की जाए तथा निर्धारित 15 दिन के अंदर काम व काम समाप्त होने के 15 दिन के भीतर ही मजदूरी का भुगतान भी किया जाए। आज समय की जरूरत है कि मनरेगा में साल में दो सौ दिन का काम व तीन सौ रू. दिहाड़ी मिलनी चाहिए। किसान सभा इसे हासिल करने के लिए लगातार आंदोलन लड़ रही है।





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