लडभड़ोल : लडभड़ोल-ऊटपुर सड़क पर शनिवार दोपहर एक टाटा इंडिगो गाडी घटोड गांव के पास (गरीबू रा अम्ब) सड़क से नीचे लुढ़क गयी। हादसे में गाडी का चालक घायल हुआ है जिसे बाजु व गर्दन में चोटें आई है। हादसा शनिवार दोपहर 1 बजे के आसपास हुआ है। गाडी सड़क से लगभग 30 फुट नीचे लुढ़क गयी है।
लडभड़ोल.कॉम वेबसाइट को मिली जानकारी के अनुसार ऊटपुर के पडोसी गांव के कुछ लोग इसी गाड़ी में चंडीगढ़ से ऊटपुर आये थे। उन्होंने यह गाडी चंडीगढ़ के एक टैक्सी स्टैंड से बुक करवाई थी। हादसे के वक्त ड्राईवर सभी सवारियों को ऊटपुर में उतारकर वापिस चंडीगढ़ जा रहा था। हादसे के वक़्त कार में सिर्फ ड्राईवर ही मौजूद था।
लडभड़ोल.कॉम से बात करते हुए ड्राईवर ने बताया की वह ट्रक को पास दे रहा था तभी अचानक पास देते समय गाडी का अगला टायर सड़क से नीचे उतर गया। देखती ही देखते गाडी नीचे गिरने लगी । ड्राईवर ने छलाँग लगाकर अपनी जान बचाई। हालाँकि ड्राईवर भी थोडा सा नीचे चला गया था लेकिन हादसे के बाद वह खुद ही सड़क पर पहुंच गया था।
गाड़ी का नंबर चंडीगढ़ का है तथा ड्राईवर ऊना का निवासी है। हादसे के बाद काफी संख्या में स्थानीय लोग मौके पर इकट्ठे हो गए थे। शाम को लगभग चार बजे ग्राम पंचायत ऊटपुर की प्रधान चन्द्रेश कुमारी भी घटनास्थल पर पहुंची। लोगों का कहना है की नींद की झपकी भी हादसे का कारण हो सकती है। फ़िलहाल गाडी सड़क से नीचे फसी हुई है तथा गाड़ी को निकलने के लिए क्रेन भी पहुंच चुकी है। ड्राईवर को 108 एम्बुलेन्स द्वारा अस्पताल ले जाया गया है।
"ध्यान दे : लडभड़ोल.कॉम की इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के माध्यम से हमारा उद्देश्य किसी की भावनाएं आहत करने का नही बल्कि सच की चर्चा करने का है। इस खबर के द्वारा हमने किसी भी व्यक्ति विशेष को टारगेट नही किया है"
लडभड़ोल : बीते सप्ताह एक अख़बार में की रिपोर्ट छपी जिसमें बताया गया कि लडभड़ोल तहसील के एक स्कूल में अध्यापकों द्वारा छात्रों से बकरा कटवाया गया। इस रिपोर्ट से लगा कि अध्यापक छात्रों का भविष्य सवारने की बजाय उसे बिगाड़ने में लगे है। इस रिपोर्ट ने सारे लडभड़ोल में न केवल हलचल पैदा की बल्कि अध्यापकों को लेकर शंका का वातावरण भी पैदा कर दिया। सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मस पर यह खबर चलने लगी। अध्यापकों को बुरा-भला कहा जाने लगा, लेकिन कुछ घंटे बीतते-बीतते सा़फ हो गया कि यह रिपोर्ट झूठी है, बकवास है। किसी खास नापाक इरादे से छापी गई है और इसे छपवाने के पीछे एक बड़ा व्यक्ति है जो अध्यापकों को बदनाम करना चाहता है।
यहां से सवाल खड़ा होता है कि कौन व्यक्ति है, जो अध्यापकों को बदनाम करना चाहता है। हालांकि पूरी खबर पढ़ने के बाद लगता है कि यह खबर नहीं, अपने आप में साज़िश का एक पुलिंदा है। इसे पढ़ते ही लगता है कि कोई ग्रुप है, कुछ लोग हैं, जिन्होंने अपने रिश्ते इस अख़बार के संवाददाता या संपादक के साथ भुनाए हैं। उन्ही रिश्तों का गलत फायदा उठाकर हमारे बहुत सारे स्थानीय अध्यापकों को वेवजह बदनाम किया गया।
अब आपको सुनाते हैं इस खबर के पीछे की असली कहानी
अगर आपको इस विवाद के बारे में जानकारी नही है तो आपको बता दे की अभी कुछ दिन पहले ही लडभड़ोल तहसील के एक सरकारी स्कूल की खबर एक न्यूज़ पेपर की क्लिप के साथ सोशल मीडिया पर वायरल हो गयी थी। जिसमे अध्यापकों द्वारा स्कूली छात्रों से बकरा कटवाने की बात लिखी गयी थी।
लडभड़ोल.कॉम की पड़ताल से पता चला कि अख़बार में झूठी खबर छपवाकर अध्यापकों की छवि खराब करने के पीछे एक "नजदीकी" व्यक्ति का ही हाथ है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक "नजदीकी" व्यक्ति ने अपना तबादला होने के लिए स्कूल के अध्यापकों को जिम्मेवार माना और इसी गलतफहमी में एक अखवार को झूठा ब्यान दे दिया। घटना पर स्पष्टीकरण मिलते ही यह झूठी खबर एक अख़बार में छप गयी और स्कूल के सभी अध्यापकों को शर्मशार होना पड़ा।
उक्त ‘नजदीकी’ व्यक्ति अच्छी योग्यता का शख्स है जो ईर्ष्यावश मानसिक दिवालिएपन का शिकार हुआ और ऐसे घिनौने काम को अंजाम दे दिया। स्कूल के शिक्षकों को जब इस झूठी खबर छपने की खबर की जानकारी मिली तो वे परेशान हो गए और उन्हें ये लगा कि झूठे बयान देने वाले इस "नज़दीकी" ने अपनी नापाक हरकत से उन्हें लोगों की नजर में गिरा दिया है। उन्हें इस खबर का खण्डन करने की लिए मीडिया में एक बयान जारी करना पड़ा की यह खबर झूठी है बेबुनियाद है। ऐसी कोई घटना कभी नही घटी। इस बयान के अगले दिन ही उसी अख़बार ने अपनी पिछली खबर का खण्डन करते हुए स्कूल में ऐसी कोई घटना नही होने की बात भी कबूली।
अख़बार में छपी इस झूठी खबर ने अध्यापकों के साथ एक गंदा मज़ाक़ किया है। सभी लोगों ने इस खबर को आधारहीन बताया। अख़बार में ऐसी झूठी रिपोर्ट को छपवाने की साज़िश करने से पहले इतने उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों को अपनी सोच के ऊपर थोड़ा ध्यान देने की जरुरत है। पहले आप सारी दुनिया के सामने अध्यापकों को बदनाम कर दें तो बाद में फिर मा़फी मांगने से भी काम नहीं चलेगा।
जैसा कि कुछ लोगों से पूछताछ में हमे पता चला की झूठा स्पष्टीकरण देने वाला "नज़दीकी" व्यक्ति एक उच्चाधिकारी है तो हमे उनसे यह प्रश्न पूछना चाहते है कि आप एक साथ दो काम कैसे कर लेते हैं? पहला काम ये कि अखबार के माध्यम से अध्यापकों की बदनाम करने की मुहीम चलवाते हैं और दूसरा काम इस बड़े सम्मानित पद पर बने हुए हैं| यह दोनों तो अपने आप में ही विपरीत लगते हैं| या तो आप लोगों की साख की कीमत को समझे या फिर इस सम्मानित पद से इस्तीफा दे कर अनाप-शनाप बयानबाज़ी करके ऐसे अख़बारों की कलम की स्याही ही बने रहें। समाज को नई दिशा देने वाले ऐसे लोग ही जब लोगों को बदनाम कर देने वाली घटनाओं को अंजाम देने लग जाएं तो समाज क्या सीखेगा?
झूठा बयान देकर तुलाह स्कूल के शिक्षकों को बदनाम करने की साजिश का पर्दाफाश
घायल चालक
हादसे के बाद एकत्रित हुए लोग
सड़क से नीचे गिरी हुआ गाडी
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